कमल विहार के विरुध्द सभी याचिकाएं उच्च न्यायालय में निरस्त
रायपुर, 15 अप्रैल 2013, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने आज रायपुर विकास प्राधिकरण की नगर विकास योजना कमल विहार के विरुध्द लगाई गई सभी 23 याचिकाओं को निरस्त कर दिया. इसके पहले 9 याचिकाकर्ताओं ने योजना के प्रति सहमति व्यक्त करते हुए अपनी याचिका वापस ले ली थी.
रायपुर विकास प्राधिकरण व्दारा सन् 2010 में नया धमतरी मार्ग और पुराना धमतरी मार्ग के मध्य ग्राम टिकरापारा, बोरियाखुर्द, डूंडा, डुमरतराई व देवपुरी के 1600 एकड़ क्षेत्र में नगर विकास योजना कमल विहार तैयार की गई थी. कमल विहार देश की सबसे बड़ी नगर विकास में से एक है जो आधुनिक संरचना के साथ पहले विकास फिर बसाहट के सिद्धांत पर आधारित योजना है. यह योजना शहर विकास के लिए भूमि के पुनर्गठन की प्रक्रिया की अवधारणा है. इस योजना में 5095 भूस्वामी है जिनकी भागीदारी से योजना क्रियान्वित की जा रही है. लगभग 815.38 करोड़ रुपए की लागत से विकसित की जा रही योजना में आवासीय के साथ आमोद - प्रमोद, व्यावसायिक, स्वास्थ्य, शैक्षिणक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. यह एक ऐसी शहरी विकास योजना होगी जो आने वाले समय में रायपुर को एक नया स्वरूप देगी.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की कल्पना के अनुरुप बनाई गई कमल विहार योजना को पिछले दिनों ना सिर्फ प्रदेश में वरन पूरे देश में सराहना मिली है. इसकी अवधारणा व डिजाईन को फरवरी 2013 में हडको व्दारा नई दिल्ली में राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया. अवार्ड देते समय भारत सरकार के सचिव श्री ए.के मिश्रा ने छत्तीसगढ़ को आवास के क्षेत्र में इस उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रदेश के आवास एवं पर्यावरण मंत्री श्री राजेश मूणत और प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सुनील कुमार सोनी को सम्मानित करते हुए कहा था कि यह योजना पूरे देश के लिए मॉडल बनेगी. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय आवास मंत्रालय कमल विहार की विशेषताओं के बारे में देश भर की राज्य सरकारों को जानकारी देगा तथा इसे अपनाने वाले राज्यों को प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करेगा. कमल विहार योजना के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सलटेंसी वैपकास लिमिटेड को भी यूनेस्को और पीएचडी चेम्बर्स ऑफ कामर्स व्दारा सर्वश्रेष्ठ सलाहकार संस्था हेतु वॉटर अवार्ड से सम्मानित किया है.
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