योजना को व्यापक जनसमर्थन
योजना के बाहर के भूस्वामियों का अपनी भूमि योजना में शामिल करने का आग्रह
रायपुर 22अक्टूबर 2010,आम आदमी को भूमाफियाओं और बिचौलियों से बचाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन व्दारा बनाई जा रही कमल विहार योजना को व्यापक जनसमर्थन मिला है.योजना की कुल 80 प्रतिशत भूमि अब प्राधिकरण को उपलब्ध हो गई है.आलम ये है कि योजना क्षेत्र के बाहर के भूमि स्वामी भी रायपुर विकास प्राधिकरण के कार्यालय में संपर्क कर अपनी भूमि को योजना में शामिल करने का आग्रह कर रहे हैं.योजना में कुल 80प्रतिशत भूमि की उपलब्धता से अब योजना में विकास और निर्माण कार्य को हरी झंड़ी मिल गई है.
रायपुर विकास प्राधिकरण ने योजना के संबंध में दुष्प्रचार कर रहे भूमाफियाओं,जमीन के दलालों और स्वार्थी तत्वों को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि वे एक झूठ को सौ बार बोल कर झूठ को सच नहीं बना सकते.वो दिन गए जब वे जनता को जानकारी के अभाव में ठग लेते थे.आज का आम आदमी जानकारी पाने के लिए पहले से कहीं ज्यादा जागरुक और सचेत है.वहीं दूसरी ओर प्राधिकरण ने भूमाफियाओं,बिचौलियों तथा स्वार्थी तत्वों के तमाम दुष्प्रचार तथा हथकंड़ों के बावजूद जनता को विभिन्न माध्यमों से सही एवं पारदर्शी जानकारी पहुंचा कर योजना के हर पहलू को जनता के सामने रख दिया है. कमल विहार योजना के संबंध में जानकारी चाहने वाले लोगों से सीधे मुलाकात के लिए उपलब्ध रहने वाले मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अमित कटारिया की सहज उपलब्धता से लोग आश्वस्त है कि छत्तीसगढ़ सरकार राजधानी रायपुर में कमल विहार जैसी श्रेष्ठ योजना ला कर लोगों को दिली तौर पर सुकून पहुंचाएगी.
देश की बेहतरीन आवासीय योजनाओं में से एक
प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह रायपुर को नई दिल्ली, बेगलुरु, मुंबई, हैदराबाद, चंडीगढ़ जैसे शहरों से भी बेहतर बनाना चाहते हैं. उऩकी सोच कि सबसे आगे हो हमारा छत्तीसगढ़ उनकी इसी सोच के कारण जनभागीदारी की योजना कमल विहार योजना जैसी सर्वसुविधायुक्त योजना तैयार की गई है. मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के अनुसार विकास की आधुनिक अवधारणा में अधोसंरचना का विकास एक महत्वपूर्ण पहलू है.इसलिए छत्तीसगढ़ शासन जनभागीदारी के साथ शहरों का विकास करने के लिए कृत संकल्पित है.कमल विहार जैसी योजना छत्तीसगढ़ सरकार का सुशासन की दिशा में आगे बढ़ने का एक और प्रयास है. कमल विहार देश की सबसे बड़ी तथा सर्वश्रेष्ठ योजना में एक होगी.
योजना के विरोधी कौन - भूमाफिया, दलाल, स्वार्थी तत्व
प्राधिकरण ने कहा कि योजना के विरोधी कई सालों से भोली भाली जनता को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण कभी निवेश के नाम पर कभी घर का सपना दिखा करा ठगते रहे हैं. अब यही जमीन का व्यवसाय करने वाले भूमाफिया और बिचौलिए किस्म के लोग अफवाह फैला कर जनता को गुमराह करने पर तुले हैं.ऐसे लोगों ने ना केवल झूठ का सहारा लिया है वरन मनगढंत व काल्पनिक समाचार छपवा रहें है.ये लोग कुछ स्थानीय पत्र – पत्रिकाओं में असत्य और बेबुनियाद खबरों को भी प्रायोजित कर रहे हैं.
प्राधिकरण ने कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन झुग्गी बस्ती मुक्त शहर चाहती है वहीं कमल विहार योजना का विरोध गंदी बस्तियों को बढ़ावा देने जैसा है.
नागरिकों को कैसे ठगते रहे हैं अवैध प्लॉट बेचने वाले भूमाफिया, बिचौलिए
अवैध प्लाटिंग करने वाले भूमाफियों ने रायपुर शहर के आसपास तथा सटे हुए गांवों में किसानों की कई एकड़ कृषि भूमि को सस्ते दामों में खरीद कर उस 5000, 4000, 2500, 2000, 1500, 1000 वर्गफुट के आकार के प्लॉट बना कर बेचते रहे. कई प्रभावित लोगों के अनुसार भूमाफिया, किसान और प्लॉट खरीददार के बीच एक बिचौलिए की भूमिका में होते हैं. ऐसे बिचौलिए आम जनता को प्लॉट (अवैध प्लॉट) बेचने की अपनी योजनाओं का आकर्षक फोल्डर बना कर कुछ ही समय में लोगों को अमीर बनाने के सपने दिखाते रहे. ऐसे अवैध प्लॉटों की आकर्षक योजनाओं में पूंजी निवेश के लिए कई जमीन दलालों के साथ शहर की कई दुकानों में आकर्षक फोल्डर बांटे जाते रहे. एकमुश्त या हर महीने की किश्तों पर बिकने वाले प्लाटों के लिए बिचौलिए हर महीने शहर के बड़े होटलों में ऐसे प्लाटों की लाटरी निकालते रहे. जिस व्यक्ति की लाटरी निकलती थी उसे किश्तें नहीं देनी पड़ती थी पर उससे पूरा विकास शुल्क लिया जाता था. शहर के बड़े और आलीशान होटलों में होने वाली लाटरी मे संभावित ग्राहकों को बढ़िया खाना – पीना भी खिलाया जाता था. प्लाटिंग के इस अवैध धंधे में किसानों की जमीन खरीदने के एवज में पहले दस से बीस प्रतिशत बयाना यानि अग्रिम राशि दी जाती थी शेष राशि प्लॉट बिकने पर समय पर दी जाती थी. इस पूरे अवैध धंधे में बिचौलिए अपने नाम पर कोई लेनदेन नहीं करते थे वरन वे किसान की जमीन में बनाए गए प्लॉट की रजिस्ट्री सीधे प्लॉट खरीदने वाले के नाम पर कर देते थे. कई ऐसे पीडित लोग है जिनके नाम पर बिचौलिओं ने प्लॉट की रजिस्ट्री तो करा दी पर आज भी उन्हें मौके पर उनके प्लॉट का कब्जा नहीं दिया गया. लोग जब अपना प्लॉट ढ़ूंढने जाते तो उन्हें अपना प्लॉट ही नहीं मिलता था तब उन्हें पता लगता कि उनके साथ धोखा हो गया है. यदि अपना प्लॉट मिल भी गया तो विकास शुल्क के नाम पर प्लॉट की कीमत का बीस प्रतिशत तक की राशि किश्तों में ले ली जाती थी. ये लोग बिजली पानी सड़क नाली की सुविधा देने में भी आनाकानी करते रहे है. तमाम असुविधाओं के बीच नागरिकों को कभी ऐसे लोगों या स्थानीय निकायों के सामने धरना प्रदर्शन और कोर्ट कचहरी करने जैसी भारी मुसीबतें सहनी पड़ी. इस समस्या से वे आज भी परेशान हैं. रातो रात अमीर बनने का सपना दिखाने वाले ऐसे बिचौलियों आम जनता को ठग कर स्वयं काफी अमीर बन गए. ये बिचौलिए इतने चतुर है कि उन्होंने कभी भी कागजों में अपने नाम पर कोई सबूत नहीं छोड़ा पर प्लॉट्स पर उनका पूरा कब्जा होता था. जनता का गाढ़ी कमाई को लूटने वाले यही बिचौलिए को जब पता चला कि प्राधिकरण रायपुर शहर में ऐसी सात अन्य योजनाएं तैयार कर रहा है तो उनके होश ही उड़ गए और इसलिए वे कमल विहार योजना का विरोध और दुष्प्रचार कर रहे हैं.
अधोसंरचना विकास की मिसाल होगा - कमल विहार
विकास छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के प्रावधानों के अन्तर्गत तैयार की गई कमल विहार योजना सहित रायपुर शहर के अन्य हिस्सों में सात अन्य योजनाएं लाई जा रही हैं. टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम अर्थात नगर विकास योजना की इन योजनाओं में आधुनिक अधोसंरचना विकास किया जाएगा.वर्तमान में पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसी सुविधाएं कहीं नहीं है जो कमल विहार में होगी. सड़क नाली, बिजली – पानी की बेहतरीन बुनियादी सुविधाओं के साथ केन्द्रीय व्यावसायिक क्षेत्र अर्थात सेन्ट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट के अतिरिक्त हर सेक्टर में स्थानीय स्तर का शॉपिंग सेन्टर, खेल के मैदान व उद्यान,नर्सिंग होम तथा स्कूल उपलब्ध होगा.इसके अलावा पूरी योजना में हरियाली के कारण स्वस्थ वातावरण होगा.भूमिगत नालियों के कारण गन्दगी और बारिश के दिनों में पानी भरने की समस्या नहीं होगी.हर सेक्टर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लॉंट की स्थापना कर गंदे पानी का शुध्दिकरण कर उसका पुर्नउपयोग उद्यानों की सिंचाई में किया जाएगा. टेलीफोन व अन्य केबलों के लिए सर्विस डक्ट, चौबीस घंटे पानी और बिजली की उपलब्धता की व्यवस्था होगी. चौड़ी सड़कों के कारण आवागमन एवं यातायात में सुविधा होगी.रिंग रोड व बायपास छह लेन की होगी.इनमें मुख्य सर्विस लेन के अतिरिक्त पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए फुटपाथ तथा सायकल के लिए सायकल ट्रैक की व्यवस्था होगी. शिक्षा, स्वास्थ्य, कार्यलय भवनों, सांस्कृतिक केन्द्र, बैंक – पोस्ट आफिस व अन्य सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए भूखंडों की उपलब्धता होगी.
सवाल यह है कि रायपुर के नागरिक नियोजित शहरी विकास,सुविधायुक्त आवासीय और नागरिक सुविधाओं से वंचित क्यों हो ?नियम तथा सुविधा जनता के लिए है पर उसे भूमाफिया,बिचौलिए और स्वार्थी तत्वों के माध्यम से देने का हश्र देखा जा चुका है. सरकार का दायित्व लोकहित में अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराना है.शहर को धारावी जैसी गंदी बस्ती में तब्दील कर देने वाले लोगों के हाथों में शहर के विकास की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती. छत्तीसगढ़ की राजधानी को सुनियोजित रुप से विकसित करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की योजनाएं जनता के हित में है तथा उसके विकास के लिए शासन पूरी दक्षता व पारदर्शिता के साथ कमल विहार तथा इसके जैसी 7 अन्य बेहतर अधोसंरचना विकास का कार्य कर रहा है.
- कमल विहार के बारे कुछ और जिज्ञासाएँ –
क्र | जिज्ञासा | समाधान |
1 | राविप्रा द्वारा बोरियातालाब को विकसित किए जाने से गांव वालों की निस्तारी का क्या होगा ? | राविप्रा द्वारा बोरियातालाब को विकसित किए जाने का कार्य गांव वालों की सुविधा के लिए ही किया जा रहा है. इससे गांव वालों की निस्तारी पर रोक नहीं लगेगी बल्कि बारहों महीने निस्तारी के लिए गांव वालों को पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा एवं बोरियातालाब के जल स्तर में वृद्धि होने से आस-पास के गांव के भू-जल स्तर में भी वृद्धि होगी. इससे गांव वालों को गर्मी के मौसम में भी पीने एवं अन्य निस्तार सुविधाओं हेतु पानी की कमी नहीं होगी. |
2 | ई.डब्ल्यू.एस. के लिए 15 प्रतिशत के स्थान पर कम जमीन छोड़ी जा रही है ? | ई.डब्ल्यू.एस. के लिए योजना क्षेत्र के कुल विकसित आवासीय क्षेत्रफल का 15 प्रतिशत जमीन ही छोड़ी जा रही है. |
3 | योजना क्षेत्र के रीजनल पार्क की जमीन को सरकारी रेट से कम दर पर बेचे जाने की कार्यवाही भी की जा रही है ? | पार्क एवं खाली मैदान की जमीनों को बेचा ही नहीं जा सकता है. प्राधिकरण द्वारा योजना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रीजनल पार्क एवं सिटी पार्क को इस तरह से विकसित किया जाएगा, जिससे उस क्षेत्र को हरियाली क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सके. |
4 | बिना भूमि के स्वामित्व के नक्शा मंजूर किया गया एवं इस नक्शे के कुछ हिस्सों को संयुक्त संचालक द्वारा मंजूरी देने से इंकार किया गया ? | योजना क्षेत्र में नक्शों की मंजूरी दिए जाने का कार्य एवं भूमि के अर्जन का कार्य नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के अंतर्गत दिए गए नियमों एवं प्रक्रिया के तहत ही किया जा सकता है. प्राधिकरण द्वारा अधिनियम के धाराओं के अनुसार ही कार्य किया जा रहा है. |
5 | अनुमोदित नक्शे में सहायक यंत्री तथा कार्यपालन यंत्री के हस्ताक्षर है किंतु टाऊन प्लानर के हस्ताक्षर नहीं है ? | कमल विहार योजना के कन्सलटेंट बिल्डक्राफ्ट द्वारा विधिवत इंस्टीट्यूट ऑफ टाऊन प्लानर्स ऑफ इंडिया नई दिल्ली में रजिस्टर्ड टाऊन प्लानर के सहयोग से एवं परामर्श से यह योजना बनवाई है एवं उनका नक्शे में विधिवत हस्ताक्षर भी है. राविप्रा द्वारा परंपरागत प्रक्रिया में जो नक्शे टाऊन प्लानिंग विभाग में सबमिट करता है, उसमें विभाग के अधिकारियों का ही हस्ताक्षर रहता है. ये उन्हीं नक्शों की कॉपी रहती है, जिन्हें राविप्रा अपने कन्सलटेंट से प्राप्त करता है. |
6 | राविप्रा के अध्यक्ष श्री एस.एस. बजाज द्वारा 400 एकड़ की योजना को 2300 एकड़ कर अध्यक्ष की हैसियत से प्रस्ताव पारित किया गया एवं उसी प्रस्ताव को विशेष सचिव आवास एवं पर्यावरण की हैसियत से प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जो नियमानुसार नहीं है? | राविप्रा में छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धाराओं के अनुसार कोई भी प्रस्ताव पारित करने का अधिकार अध्यक्ष को ना दिया जाकर संचालक मंडल को दिया गया है. इसी प्रकार शासन स्तर पर भी स्वीकृति दिए जाने की कार्यवाही किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं की जाती है, बल्कि इसके लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किए जाने के पश्चात ही स्वीकृति प्रदान करने की कार्रवाही की जाती है. |
7 | बड़े लोगों की जमीन योजना से बाहर एवं सेक्टर-15सी, जो एक किलोमीटर के दायरे के बाहर है, उसे शामिल क्यों किया गया हैं ? | राविप्रा द्वारा गांव की आबादी, घनी रिहायशी बस्ती एवं कच्चे-पक्के मकानों द्वारा निर्मित क्षेत्रों का सर्वे कराया जाकर सिर्फ इन्हीं क्षेत्रों को योजना से बाहर किया गया है. यही कारण है कि सेक्टर-15सी जो प्रथम दृष्टिया नक्शे में देखने से यद्यपि वह योजना क्षेत्र के एकदम कोने क्षेत्र में स्थित है. इसके बावजूद उपरोक्त मापदण्डों में न आने के कारण उसे योजना क्षेत्र में ही यथावत रखा गया है. |
8 | कमल विहार योजना का क्रियान्वयन कब होगा ? | कमल विहार योजना के फील्ड पर क्रियान्वयन का कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके लिए प्रथम चरण में मास्टर प्लान में दर्शित रिंग रोड-4 के लिए टेण्डर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. |
9 | योजना की जानकारी के लिए दावा/आपत्ति आमंत्रित की गई थी, उसका निराकरण नहीं किया गया? | योजना में समस्त दावा/आपत्तियों का निराकरण किया गया है. |
10 | राविप्रा 35 प्रतिशत भूमि देने का वादा कर रहा है लेकिन यह जमीन कहां दी जाएगी, इसका खुलासा नहीं किया गया ? | राविप्रा द्वारा स्पष्ट रूप से योजना क्षेत्र के भूमि स्वामियों को लिखित में यह जानकारी दे दी गई है कि उन्हें विकसित प्लाट/ भूखंड का आबंटन कहां किया जाएगा. कुल 80 प्रतिशत से भी ज्यादा भू-स्वामियों द्वारा उन्हें प्राप्त विकसित प्लाट के संबंध में अपनी सहमति प्रदान कर दी गई है. |
11 | राविप्रा द्वारा नहरों पर रोड बनाने की तैयारी की जा रही है. इसमें खेती को सिंचाई का पानी कहां से मिलेगा ? | राविप्रा द्वारा नहरों पर रोड बनाने से पहले सिंचाई विभाग से विधिवत अनुमति ली जाएगी एवं रोड का निर्माण सिंचाई विभाग के शर्तों के अधीन किया जाएगा. |
12 | राविप्रा द्वारा श्मशान एवं मरघट के लिए आरक्षित भूमि में भी प्लाट काट दिया गया है ? | राविप्रा द्वारा योजना क्षेत्र में 3.27 हेक्टेयर भूमि श्मशान भूमि के मद में ही रखी गई है. अतः इस भूमि पर प्लाट काटे जाने का प्रश्न ही नहीं उठता. |
13 | राविप्रा द्वारा पहले भूमि स्वामियों से जमीन का करार करने का वायदा किया गया था, मगर अब सहमति लेने पर जोर दिया जा रहा है ? | जब तक राविप्रा को यह जानकारी नहीं होगी कि कितने लोग योजना में विकसित प्लाट लेने के इच्छुक है, तब तक उनसे करार किए जाने की कार्यवाही कैसे की जा सकती है ? इसलिए प्राधिकरण द्वारा उनसे सहमति ली जा रही है ताकि करार की कार्यवाही की जा सके. |
14 | राविप्रा को सड़क किस जमीन पर बनाना है, इसके बारे में पता नहीं होने के बावजूद सड़क के लिए टेंडर जारी कर दिया गया ? | राविप्रा के संचालक मंडल के द्वारा योजना से संबंधित स्वीकृत किए गए नक्शे में ना सिर्फ मास्टर प्लान की सड़कें कहां बनेगी, इसका उल्लेख है साथ ही सेक्टर लेवल की सड़कों का भी उल्लेख किया गया है. |
कमल विहार योजना में भूमि का वितरण (योजना व सेक्टर स्तर पर) | |
विवरण | क्षेत्रफल (हेक्टेयर में) |
योजना का कुल क्षेत्रफल | 879.22 110.50 111.36 9.52 647.84 |
भूमि का उपयोग | |
(1) आमोद-प्रमोद उपयोग हेतु क्षेत्र (अ) क्षेत्रीय उद्यान (बोरिया तालाब सहित) (ब) नगर उद्यान | 103.98 25.43 |
(2) योजना क्षेत्र में अन्य तालाब का क्षेत्र | 0.83 |
(3) श्मशान भूमि का क्षेत्र | 3.27 |
(4) सड़कों का क्षेत्र (अ) आरडीपी सड़क (मास्टर प्लॉन में प्रस्तावित) (ब) टीडीएस सड़क (कमल विहार में प्रस्तावित) | 54.12 19.50 |
(5) व्यावसायिक क्षेत्र (अ) सीबीडी (ब) व्यावसायिक पट्टी | 8.02 2.31 |
(6) अनुमोदित अभिन्यास / वर्तमान निर्माण क्षेत्र | 37.38 |
(7) स्थानीय एवं सुविधाजनक बाजार केन्द्र | 5.83 |
(8) शैक्षणिक प्रयोजन क्षेत्र (अ) नर्सरी स्कूल (ब) प्राईमरी स्कूल (स) हाई स्कूल | 5.75 |
(9) स्वास्थ्य प्रयोजन क्षेत्र (अ) स्वास्थ्य केन्द्र (डिस्पेन्सरी, नर्सिंग होम, पॉली क्लीनिक) | 2.40 |
(10) बस स्टैन्ड | 0.32 |
(11) योजना के आंतरिक मार्ग | 94.61 |
(12) उद्यान व खेल मैदान | 38.52 |
कुल उपलब्ध विकसित प्लॉटों का क्षेत्रफल (आवासीय, मिश्रित,पी.एस.पी. एवं ईडब्लूएस) (अ) पुनर्गठित विकसित भूखंडों का कुल रकबा (आ) आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लिए (ईडब्लूएस भूखंड) 213.42 हेक्टेयर का 15% = 32.01 हेक्टेयर | 245.57 213.42 32.15 |