मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की छबि देख कर रायपुर में लिया प्लॉट
छत्तीसगढ़ पहले कभी नहीं
देखा
रायपुर 28 अप्रैल 2015, भारत के उत्तर
पूर्व में स्थित राज्य मेघालय
की राजधानी है शिलांग.
यहां दूरसंचार विभाग में काम करने वाले
इंजीनियर असित घोष
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
डॉ. रमन सिंह
से काफी प्रभावित हैं. इसीलिए उन्होंने राजधानी रायपुर के कमल
विहार में अपने
लिए एक
प्लॉट खरीदा है. रिटायरमेंट के बाद वे अपने परिवार के साथ ही रायपुर में ही
रहना चाहते हैं. क्योंकि उन्हें
छत्तीसगढ़ और यहां के लोग काफी अच्छे लगे. यही
नहीं वे अपने
एक मित्र जो उनके
सीनियर भी रहे
हैं को तीन
बार की लगातार
कोशिशों के बाद
कमल विहार में एक प्लॉट
दिलवाने में सफल
रहे हैं. ताजुब्ब की बात
यह है कि
इन दोनों ने इसके
पहले छत्तीसगढ़ का
नाम भर सुना
था पर वे
यहां कभी आए
नहीं थे. बिलासपुर
में रहने वाले एक
मित्र ने उन्हें
रायपुर में
अपने लिए एक
बिल्डर से मकान
खरीदने की बात
बताते हुए सुझाव दिया था कि
यदि वे रहने
के लिए कोई
प्रापर्टी खरीदना चाहते हैं तो
रायपुर में ही
लें. यहां प्लॉट या मकान खरीदना एक खरा
सौदा है.
श्री घोष के सीनियर
रहे श्री अंतिश सेनगुप्ता
बीएसएनएल में डिविजनल इंजीनियर थे, वे
अब रिटायर हो चुके
हैं पर दोनों
की अच्छी मित्रता है. शिलांग में रह
कर रायपुर जैसे एक अनजान
शहर मे उन्होंने
प्रापर्टी क्यों ली. इस पर
असित कहते हैं कि
मैं अकसर पत्र पत्रिकाओं और टेलीविजन
में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
डॉ. रमन सिंह
को देखता और सुनता था. मैने यह महसूस
किया कि वे
छत्तीसगढ़ में काफी
अच्छा काम कर
रहें हैं और अपने राज्य विकास का काफी काम कर रहे हैं. तभी से
मैंने यहां प्लॉट लेने का मन बना लिया था. इस कारण मुझे छत्तीसगढ़ को और
जानने की इच्छा
हुई. मेरे बिलासपुर वाले मित्र से भी
अक्सर बातें होती रहती थी. सो उनके
कहने पर मैंने
और अंतिश जी ने यह
निर्णय लिया
कि हम रायपुर
में ही अपने लिए प्लॉट लेंगे ताकि रिटायरमेंट के बाद
यहां सुकून से रह
सकें. वे कहते
हैं कि शिलांग
आदिवासीवासी बहुल क्षेत्र है और वहां छठी
अनुसूची लागू होने के कारण संपत्ति खरीदना काफी मुश्किल है. शिलांग शहर के लगभग दो
किलोमीटर क्षेत्र में ही सामान्य व्यक्ति संपत्ति खरीद सकता है पर वहां जमीन की
खरीदी –
बिक्री बहुत कम होती है. आदिवासी क्षेत्र होने के कारण सामान्य वर्ग वहां भूमि नहीं
खरीद सकता. बंगाल में चार भाईयों के नाम पर उनके परिवार का एक बड़ा प्लॉट है लेकिन
कोई उनके प्लॉट पर कब्जा न कर बैठे यही डर हमेशा लगता रहता है. चूंकि छत्तीसगढ़ और
यहां के लोग काफी अच्छे लगे इसलिए मैंने यहां अपने मित्र के साथ
अपने लिए कमल विहार
में एक प्लॉट खरीदा.
दो महीने
पहले फोन पर व्हॉट्स अप के माध्यम से जब इन्हें आरडीए के
अधिकारियों ने कमल विहार के प्लॉटों की जानकारी भेजी तो दोनों ने एक साथ
मिल कर कमल विहार में प्लॉट
लेने की सोची और शिलांग
से ही अपना आवेदन
रायपुर विकास प्राधिकरण को भेजा. चूंकि
प्लॉट का आवंटन
लॉटरी से हो
रहा था. इसमें असित घोष की लॉटरी तो निकल
गई पर अंतिश
सेनगुप्ता रह गए
उनको कोई प्लॉट
नहीं मिला. श्री सेनगुप्ता ने दूसरी
और तीसरी बार फिर अपनी किस्मत आजमाई पर इस
बार भी वे
असफल रहे. इस दौरान वे लगातार प्राधिकरण की वेबसाईट, फेसबुक
और अधिकारियों के संपर्क
में रहे. लगातार धोखा देती किस्मत के बाद
आखिर में दोनों ने यह
फैसला किया कि वे
स्वयं रायपुर जाकर देखेंगे की लॉटरी
कैसे की जा रही है. अप्रैल
के पहले सप्ताह में वे
दोनों लाटरी के दो
दिन पहले रायपुर पहुंचे. पहले उन्होंने कमल विहार
देखा और दूसरे
दिन नया रायपुर. तीसरे
दिन शुक्रवार को वे
रायपुर विकास प्राधिकरण के कार्यालय
आए. लेकिन वो जिस
आकार का प्लॉट
लेना चाहते थे वह
उपलब्ध नहीं थे. चूंकि वे इस
बार प्लॉट लेने के दृढ़
इरादे से आए
थे सो उन्होंने
आवासीय प्लॉट के बदले
सार्वजनिक - अर्ध्द सार्वजनिक उपयोग का प्लॉट
लेने का फैसला
किया. जिसमें वे नीचे
बैंक, कार्यालय या होटल और ऊपर
निवास बना सकते
थे. सो उन्होंने
टेन्डर भरा और
इस बार किस्मत
ने उनका पूरा साथ दिया और उनको
1500 वर्गफुट
का उनकी पसंद का प्लॉट
मिल गया. प्लॉट मिलने के बाद उन्होंने बताया कि हमारी जब अधिकारियों
से बात होती थी तो ऐसा लगता ही नहीं था कि हमारी किसी सरकारी संस्था के लोगों से
बात हो रही है. सबका व्यवहार इतना अच्छा है कि हमें तो शक हो गया था कि शायद हम
किसी निजी संस्था वालों से तो बात कर नहीं कर रहे हैं. यहां आकर हमे वाकई अच्छा लगा की किसी सरकारी संस्था के लोग भी
इस तरह से अच्छा व्यवहार कर सकते हैं.