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Sep 10, 2013


अमित कटारिया आरडीए के सीईओ

रायपुर, 10 सितंबर 2013, नया रायपुर डेव्लेंहपमेट अथारिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अमित कटारिया ने आज रायपुर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन प्राधिकरण का अतिरिक्त कार्यभार संभाल लिया. राज्य शासन के आदेश के बाद उन्होंने  आवास एवं पर्यावरण विभाग के उपसचिव की जिम्मेदारी भी ले ली है. श्री कटारिया इसके पूर्व में प्राधिकरण में दो साल तक मुख्य कार्यपालन अधिकारी रह चुके हैं.

आधुनिक नहीं अब स्मार्ट शहरों की बारी
- सुनील कुमार सोनी
हमारे पूर्वजों ने लोगों के रहने के लिए शहरों की जो डिजाईऩ की थी वह उस समय की आवश्यकता के अनुरुप बेहतर थी । लेकिन आज के हमारे शहर टेक्नालाजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं ।
संचार और कम्प्यूटर टेक्नॉलाजी ने हमें जीवन के हर क्षेत्र को और बेहतर बना रहा है । कम्प्यूटर और नैनो टेक्नॉलाजी ने आज हमारे जीवन स्तर को तार्किक स्वरुप प्रदान करते हुए कई बेहतर विकल्प सामने ला खड़े किए हैं । ऐप्स, डीआईवाई सेंसर, नैनों चिप्स, स्मार्टफोन तथा वेब की तकनीक शहर निर्माण में अहम भूमिका में आगे आ गई है । अब हम अपनी सुगमता के लिए सिर्फ शहर ही नहीं बना रहे हैं वरन अपनी प्राकृतिक विरासत,संस्कृति, व्यापार और समुदाय के लिए शहर बना रहें हैं।
एक अनुमान के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करेगी जिससे यातायात व्यवस्था, आपातकालीन सेवाओं और अन्य व्यवस्थाओं पर ज़बर्दस्त दबाव होगा । इसलिए अब नए विकल्प के रुप में दुनियाभर में स्मार्ट शहरों का निर्माण शुरू हो चुका है। कहा जा रहा है कि अब जो स्मार्ट शहर बनेगें वे हमारी कल्पनाओं से परे होगें। भविष्य के इन शहरों में बिजली के ग्रिड से लेकर सीवर पाइप, सड़कें, कारें और इमारतें हर चीज़ एक एक नेटवर्क से जुड़ी होगी। यहां की इमारतें अपने आप बिजली बंद करेगी, स्वचालित कारें खुद अपने लिए पार्किंग ढूंढेंगी और यहां तक कि कूड़ादान भी स्मार्ट होगा। स्मार्ट शहर का मतलब होगा कि एक ऐसा शहर जो आपकी ज़रूरतों को अपने आप पूरा करे।
दुनिया की कई जानी मानी तकनीकी कंपनियां अब स्मार्ट शहरों का भविष्य तय कर रही हैं। वे शहर में जल के रिसाव से लेकर वायु प्रदूषण और ट्रैफिक जाम तक हर समस्या को सुलझाने के लिए नए नए सॉफ्टवेयर बना कर बेच रही हैं। नए स्मार्ट शहरों का भविष्य शहरों की इमारतों, बिजली के खंभों और पाइप पर लगे सेंसरों व्दारा रखी जाने वाली निगरानी से नियंत्रित होगा। सिंगापुर, स्टॉकहोम और कैलिफोर्निया में एक कंपनी यातायात के आंकड़े जुटा शहरों में लगने वाले जाम की एक घंटे पहले ही भविष्यवाणी कर रही है। वहीं रियोडिजेनेरियो में एक कंपनी ने नासा की तरह एक कंट्रोल रूम बना रखा है जहाँ लगी स्क्रीनें पूरे शहर में लगे संवेदकों और कैमरों से आंकड़े जुटाती हैं। डबलिन में एक कंपनी ने सिटी काउंसिल के साथ मिलकर मोबाइल फोन्स के लिए एक पार्कया ऐप्स तैयार किया है जो लोगों को शहर में पार्किंग की जगह ढूंढने में मदद करता है। अमरीकी शहर डुबुक में कंपनी स्मार्ट वाटर मीटर बना रही है जो कम्युनिटी पोर्टल के माध्यम से लोगों को डेटा उपलब्ध करा रही है ताकि वे पानी की अपनी खपत को देख सकें। एक अमरीकी कंपनी का मानना है कि हमें एक ऐसे शहर विकसित करने की ज़रूरत है जो लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप हों। पहले यह संभव नहीं था क्योंकि तब ज्यादा सूचना उपलब्ध नहीं थीं। चीन दर्जनों ऐसे नए शहर बसाने की ओर बढ़ रहा है जिसमें रियोडिजेनेरियो की तरह कंट्रोल रूम स्थापित होंगै। स्मार्ट शहर का भविष्य तय करने के लिए स्मार्टफोन, ऐप्स, डीआईवाई सेंसर तथा वेब इस्तेमाल करने वाले लोग लिख रहे है। डोंट फ्लश मी एक छोटा डीआईवाई सेंसर और ऐप है जो अकेले दम पर न्यूयॉर्क की पानी से जुड़ी समस्याओं को सुलझा रहा है। इसी तरह सेंसर नेटवर्क एग लोगों को शहर की समस्याओं के प्रति सचेत कर रहा है।
एक शोध के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में हर साल 20 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है शहरों में बढ़ती भीड़भाड़ के कारण यह समस्या और बदतर हो रही है। इस समस्या के आंकलन के लिए एक कंपनी सस्ते सेंसर बेचकर वायु की गुणवत्ता के बारे में आंकड़े जुटा रहा है। ताकि लोग इन सेंसरों को अपने घरों के बाहर लगाकर हवा में मौजूद ग्रीन हाउस गैसों, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड के स्तर का पता लगा सकते हैं। इन आंकड़ों को इंटरनेट पर भेज कर एक नक्शे में जोड़कर दुनियाभर में प्रदूषण के स्तर को दिखाया जाता है। सेंटर फॉर एडवांस स्पेशिएल एनालिसिस लंदन के निदेशक हडसन स्मिथ के अनुसार  शहरों की स्थिति सुधारने में लोगों की भागीदारी बेहद अहम है। उनकी टीम में लंदन को स्मार्ट बनाने के लिए एक सिटी डैशबोर्ड विकसित किया है। रियोडिजेनेरियो के कंट्रोल रूम की तरह डैशबोर्ड प्रदूषण, मौसम और नदी के जल स्तर से संबधित आंकड़ों को समाहित करता है। साथ ही यह ट्विटर और शहर की खुशहाली पर भी नजर रखता है।
इन दिनों स्मार्ट शहरों के बारे में विकसित देशों में काफी चर्चा है लेकिन उनके पास ऐसी कोई तकनीक नहीं है जिससे वास्तव में लोगों की जिंदगी में बदलाव आ रहा है। पर यह उम्मीद जरूर है कि अगले पांच सालों में चीजें स्मार्ट हो जाएंगी। तब शहर का डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रेनों और सड़कों की तरह अहम हो जाएगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या हम अपने शहरों कि बेहतर बनाने के चक्कर में उनकी सबसे बड़ी धरोधर को खो भी सकते हैं ? लेकिन यह बात तो तय है कि बेहतर सोच वाले स्मार्ट लोग ही स्मार्ट शहर बनाएंगे।
रायपुर विकास प्राधिकरण भी दुनिया की ऐसी कल्पनाओं को साथ ले कर चल रहा है। इसी दिशा में कमल विहार की कल्पना जो एक आम आदमी की योजना तो है पर हर किसी की कल्पना से परे... इसमें आम से खास सभी लोगों के सारे सपने गढ़ने का काम उनकी सोच से पहले कर दिया है ताकि आगे आने वाली टेक्नॉलाजी के लिए विकास के सभी रास्ते खुले रहें । हिन्दुस्तान के स्मार्ट शहर होने की दिशा में अग्रसर होते हुए हम अब रायपुरवासियों के सपने पूरे करने के लिए वचनबध्द है।
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-          सुनील कुमार सोनी, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं