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Aug 27, 2013

राजपत्र में प्रकाशन के बाद होगा फ्रीहोल्ड

आरडीए के आवासीय संपत्तियों को फ्रीहोल्ड करने के लिए शासन ने बनाया नया नियम

रायपुर, 27 अगस्त 2013, रायपुर विकास प्राधिकरण की आवासीय योजनाओं को फ्रीहोल्ड करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने एक नया नियम बनाया है जो छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित हो चुका है.
छतीसगढ़ भूमि धारण (विधिमान्यकरण) अधिनियम 2013 का छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशन के बाद यह लागू हो जाएगा. इस नियम के अन्तर्गत प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में शामिल 325 एकड़ निजी भूमि अपने नाम पर दर्ज कराने के लिए राज्य शासन को पत्र भेजकर इसे राजपत्र में प्रकाशन कराने का अनुरोध किया गया है. इसके बाद प्राधिकरण व्दारा आवासीय संपत्तियों को फ्रीहोल्ड करना शुरु किया जाएगा. 

प्राधिकण के अध्यक्ष सुनील कुमार सोनी के अनुसार आवास एवं पर्यावरण विभाग, छत्तीसगढ़ शासन व्दारा तैयार किए गए अधिनियम के अनुसार प्राधिकरण की उन सभी आवासीय योजनाएं की भूमि जो राजस्व रिकार्डों में दर्ज नहीं हो सकी थी वे अब इस अधिनियम से लागू होने के बाद नियमतः राजस्व रिकार्ड में दर्ज की जा सकेंगी. दरअसल पहले जब प्राधिकरण की योजनाएं बनी थी तब भूमि का अर्जन विधिवत ढ़ंग से नहीं हुआ था. भूमि का मुआवाजा तो दे दिया गया और उसका पांच और दस रुपए के स्टॉम्प पेपर पर लिखापढ़ी कर ली गई और ऐसा मान लिया गया कि भूमि प्राधिकरण की हो गई. प्राधिकरण ने फिर ऐसी सभी भूमियों पर अपनी योजनाएं तो बना ली लेकिन प्रक्रिया के अनुसार तहसील के राजस्व रिकार्ड में भूमि दर्ज नहीं हो सकी. इसलिए शैलेन्द्रनगर, कटोरातालाब, देवेन्द्रनगर, जलविहार, राजेन्द्रनगर जैसी कई आवासीय योजनाओं के हजारो आवासीय भूखंड और आवासीय भवन फ्रीहोल्ड नहीं हो सके. फ्रीहोल्ड का अर्थ है कि आवासीय भूखंड के धारक को भविष्य में प्राधिकरण को कोई भूभाटक नहीं देना होगा और न ही उसे अपने भूखंड के विक्रय करने के लिए किसी प्रकार की अनुमति लेनी होगी. फ्रीहोल्ड होने के बाद भूखंडधारियों भूभाटक और विक्रय की अनुमति लेने की औपचारिकता से पूरी तरह से मुक्त हो जाएंगे.

रायपुरा योजना की एक बड़ी बाधा दूर हुई – सुनील कुमार सोनी

इन्द्रप्रस्थ फेज 2 व विशेषीकृत व्यावसायिक क्षेत्र रायपुरा को
राज्य शासन ने दी स्टॉम्प और पंजीयन शुल्क में छूट

रायपुर, 27 अगस्त 2013, छत्तीसगढ शासन ने रायपुर विकास प्राधिकरण की कमल विहार योजना के बाद अब रायपुरा स्थित इन्द्रप्रस्थ फेस - 2 और रायपुरा की विशेषीकृत व्यावसायिक क्षेत्र (SCZ Special Commercial Zone) में आने वाली भूमि के अनुबंध विलेख हेतु स्टॉम्प शुल्क व पंजीयन शुल्क की राशि में छूट दे दी है. प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सुनील कुमार सोनी के लगातार प्रयासों से मिली इस छूट से योजना के भूस्वामियों को एक बड़ी राहत मिली है. यदि यह छूट नहीं मिलती तो भूस्वामियों को प्राधिकरण से अनुबंध करने और स्टॉम्प शुल्क के रुप में लाखों रुपए का आर्थिक भार वहन करना पड़ता किन्तु इस छूट से अब मात्र 100 रुपए के स्टॉम्प पर ही प्राधिकरण और भूमि स्वामियों के मध्य अनुबंध का निष्पादन हो सकेगा. श्री सोनी ने घोषणा की कि प्राधिकरण व्दारा दोनो योजना में अधोसंरचना विकास स्वयं की राशि अथवा ऋण ले कर करेगा और योजना में शामिल भूस्वामियों से किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लेगा.
नगर विकास योजना इन्द्रप्रस्थ फेस 2 रायपुर के 125 एकड़ क्षेत्र में विकसित की जा रही है. योजना की लागत 96.60 करोड़ रुपए है. मुख्यतः यह आवासीय योजना है जिसमें भूस्वामियों को उनकी अविकसित भूमि के बदले 35 प्रतिशत क्षेत्र का पुनर्गठित विकसित भूखंड दिया जा रहा है. योजना में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. योजना में 550 भूस्वामी शामिल हैं. इसमें से 60 प्रतिशत भूस्वामियों ने पुर्नगठित भूखंड लेने की सहमति दे दी है तथा शेष भूमि का अर्जन किया जाएगा. योजना के औपचारिक नियम एवं प्रक्रिया के अन्तर्गत नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50 (8) के अन्तर्गत प्रकाशन कर समस्त कार्रवाई पूरी की जा चुकी है. योजना में मास्टर प्लॉन के प्रावधान के अनुरुप मुख्य मार्ग 24 मीटर चौड़ा होगा जिसकी लंबाई 2.8 किलोमीटर होगी.
रायपुरा की विशेषीकृत व्यावसायिक क्षेत्र 124.24 एकड़ क्षेत्र में विकसित होगी जिसकी लागत लगभग 250 करोड़ रुपए होगी. रायपुर के मास्टर प्लॉन अर्थात रायपुर विकास योजना के अन्तर्गत बाजारों के विक्रेन्दीकरण किया जाना है. इसके अन्तर्गत विशेषीकृत व्यावसायिक क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए लॉजिस्टिक हब अर्थात वेयर हाऊस कार्यालय सहित, होलसेल व रिटेल व्यावसाय, होटल, कार्पोरेट कार्यालय विकसित होंगे. योजना में भूस्वामियों को उनकी भूमि का 46 प्रतिशत क्षेत्र के बराबर के पुनर्गठित विकसित भूखंड देते हुए 2 से 3 प्रतिशत तक निर्मित व्यावसायिक क्षेत्र भी आवंटित किया जाएगा. प्राधिकरण व्दारा योजना में आवंटित भूखंड़ों पर 4 साल में निर्माण करने की शर्त भी रखी गई है. इस योजना हेतु नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50 (5) के अन्तर्गत गठित समिति व्दारा आपत्तियों की सुनवाई की जा चुकी है. समिति की रिपोर्ट आते ही प्रकाशन की अंतिम कार्रवाई करते हुए प्राधिकरण व्दारा विकास और निर्माण प्रारंभ किया जाएगा.