रायपुर, 09 मार्च 2015, नगर विकास योजना कमल विहार के सेक्टर एक में सबसे पहले
घर का निर्माण प्रारंभ हो गया है. श्रीमती सोनाली भट्टाचार्य और श्री आशीष
भट्टाचार्य ने गत दिनों कमल विहार के सेक्टर एक स्थित अपने भूखंड क्रमांक बी 118
में विधि विधान के साथ वास्तु पूजा अर्चना
कर अपने नए आशियाने का निर्माण कार्य
प्रारंभ कर दिया है. यही नहीं इस परिवार ने कमल विहार योजना में सबसे पहले भवन अनुज्ञा प्राप्त करने, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया से बैंक ऋण लेने और विद्युत विभाग से विद्युत
कनेक्शन लेने का इतिहास भी अपने नाम कर दर्ज कर लिया है.
लोक निर्माण विभाग में कार्यरत श्री आशीष भट्टाचार्य ने 1998 में अपनी पत्नी के नाम पर ग्राम बोरियाखुर्द में मकान बनाने के लिए एक प्रापर्टी डीलर से 17 सौ वर्गफुट का एक भूखंड खरीदा था. उन्होंने प्लॉट तो खरीद लिया था पर उसमें सड़क, नाली, बिजली, पानी की सुविधा कहां से मिलेगी यह तय नहीं था. बस यही सकून
लोक निर्माण विभाग में कार्यरत श्री आशीष भट्टाचार्य ने 1998 में अपनी पत्नी के नाम पर ग्राम बोरियाखुर्द में मकान बनाने के लिए एक प्रापर्टी डीलर से 17 सौ वर्गफुट का एक भूखंड खरीदा था. उन्होंने प्लॉट तो खरीद लिया था पर उसमें सड़क, नाली, बिजली, पानी की सुविधा कहां से मिलेगी यह तय नहीं था. बस यही सकून
था कि सस्ते में उन्हें एक प्लॉट मिल गया. सन् 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने
के बाद से आशीष भट्टाचार्य जैसे सैकड़ों लोगों ने इसी प्रकार के कागजों में कटे
भूखंड खरीदे थे जिनका न तो कोई नक्शा पास था और न ही उसकी कोई कानूनी वैधता थी. एक
प्रकार की इस अवैध कालोनी होने के कारण इसका न तो नक्शा पास हो सकता था और न ही
विद्युत मंडल से विद्युत उपलबध हो पाता. अवैध रुप से ऐसे सैकड़ों भूखंडधारियों को
सड़क – नाली, बिजली व पानी की
सुविधाएं चाहिए थी ताकि वे अपने लिए एक मकान बना सकें. पर शासन के नियमों के विरुद्ध
कागजों में बनी ऐसी कालोनी के कारण वे कुछ भी नहीं कर पा रहे थे. ऐसे
में लोगों को बैंकों से भी ऋण भी नहीं मिल रहा था. कई सालों से आम लोगों की ऐसी ही
परेशानी को देखते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने समझा और शासन के
आवास एवं पर्यावरण मंत्री श्री राजेश मूणत को यह जिम्मेदारी दी कि वे रायपुर विकास
प्राधिकरण के माध्यम से शहर के परेशान हो रहे नागरिकों को सभी बुनियादी सुविधाएं
उपलब्ध कराते हुए रायपुर शहर को सुव्यवस्थित करें. उसके बाद राज्य शासन और रायपुर
विकास प्राधिकरण ने आधुनिक तकनीक व सुविधाओं से युक्त कमल विहार योजना के
क्रियान्वयन करने का निर्णय लिया. सन् 2008 में रायपुर नगर विकास के लिए कमल विहार
जैसी योजना की परिकल्पना कर उसे साकार रुप देने का कार्य शुरु हुआ. और आज कमल
विहार प्रदेश की एक आधुनिक कालोनी के रुप में विकसित हो रही है.
श्री भट्टाचार्य ने
वैसे तो 26 जनवरी 2015 को अपना मकान बनाने के लिए सपरिवार वास्तु पूजा कर ली थी.
लेकिन इसे पहले नवंबर 2014 में उन्होंने पहले नगर पालिक निगम रायपुर से भवन अनुज्ञा
प्राप्त की फिर सेन्ट्रल बैंक ऑफ
इंडिया से ऋण लिया और गत सप्ताह ही
छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कंपनी से अस्थायी विद्युत कनेक्शन ले कर भवन निर्माण
प्रारंभ किया. श्री भट्टाचार्य ने बताया कि जब छत्तीसगढ़ शासन ने कमल विहार बनाने
की घोषणा करते हुए कहा था कि अवैध प्लॉटिंग वालों को योजना में समाहित किया जाएगा
तो सबसे ज्यादा खुशी उनके परिवार को ही हुई थी. लेकिन जब उन्हें 1700 वर्गफुट के
बदले 773 वर्गफुट का भूखंड देने की जानकारी हुई तब उन्हें निराशा हुई थी सो
उन्होंने रायपुर विकास प्राधिकरण और छत्तीसगढ़ शासन के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए
थोड़े बड़े आकार भूखंड देने की मांग की थी. फलस्वरुप ऐसे सभी लोगों की मांग पर
ध्यान देते हुए राज्य शासन की स्वीकृति के उपरांत एक स्लैब ऊपर के अर्थात थोड़े
बड़े आकार के भूखंड देने की घोषणा की गई तो श्री भट्टाचार्य जैसे सैकड़ों लोगों को
राहत मिली. फिर श्री भट्टाचार्य को रायपुर विकास प्राधिकरण ने उनकी
मांग पर 928 वर्गफुट आकार का भूखंड दिया जिस पर वे अब अपना घर बना रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि कमल
विहार देश की सबसे बड़ी नगर विकास योजनाओं में से एक है. इसका कुल क्षेत्रफल 1600
एकड़ है. यदि इस योजना के आकार की तुलना देवेन्द्रनगर से करें तो यह अकेले लगभग 12
देवेन्द्रनगर के तथा 25 शैलेन्द्रनगर के बराबर है. योजना में भूमि स्वामियों के ही
लगभग 7 हजार भूखंड हैं. रायपुर विकास प्राधिकरण योजना में लगने वाली राशि के लिए लगभग
1100 आवासीय भूखंडों का विक्रय कर रहा है. इसके अतिरिक्त लगभग सौ व्यावसायिक व
अन्य भूखंडों का विक्रय भी किया जा रहा है. योजना में रायपुर और छत्तीसगढ़ ही नहीं
वरन देश के कई बड़े नगरों तथा विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों ने भी भूखंड
लिया है तथा वे लगातार इसमें अच्छी रुचि भी दिखा रहे हैं.
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