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Mar 31, 2015

कमल विहार के व्यावसायिक भूखंड अब 25% और 36 किश्तों में

मूल भूस्वामियों को छोटे के बदले बड़े प्लॉट लेने का अवसर
9 और एजेंटो की नियुक्ति
रायपुर, 30 मार्च 2015, रायपुर विकास प्राधिकरण संचालक मंडल ने इस बार की बजट बैठक के दौरान कई अन्य प्रस्तावों पर विचार कर हितग्राहियों व आवंटितियों को कई नई सुविधाएं दी हैं. प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एम. डी. कावरे के अनुसार कमल विहार के व्यावसायिक भूखंडों का कब्जा अब मात्र 25% की राशि देने पर दे दिया जाएगा ताकि उस पर भवन निर्माण का कार्य तेजी से हो सके और तथा शेष भुगतान 36 समान मासिक किश्तों में करने की भी सुविधा दी जाएगी. कमल विहार में भवन निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए भूखंडधारियों को पानी के टैंकर की सुविधा, योजना में शामिल भूस्वामी जिन्हें भूमि के बदले विकसित भूखंड दिए गए हैं उन्हें अब अपने छोटे भूखंडों के बदले 2750 वर्गफुट से बड़े प्लॉट लेने की भी सुविधा मिलेगी. कमल विहार में आवेदन कर भूखंड नहीं लेने पर राशि राजसात करने की बदले अब पंजीयन राशि में मात्र 20% राशि की कटौती होगी. इसके अलावा प्राधिकरण की अन्य योजनाओं की संपत्ति विक्रय के लिए 9 और विक्रय अभिकर्ताओं की नियुक्ति तथा डुमरतराई में रीजनल व सिटी बस स्तर के बस टर्मिनल का निर्माण के प्रस्ताव का अनुमोदन संचालक मंडल व्दारा किया गया है.      
व्यावसायिक भूखंडों का कब्जा अब मात्र 25 प्रतिशत राशि में, भुगतान 36 माह में
      कमल विहार योजना में व्यावसायिक भूखंडों को विकसित करने के लिए अब 36 माह की किश्तों में निविदा के आधार पर दी जाएगी. निविदा के साथ ही आवेदक 10 प्रतिशत की राशि जमा करेगा. निविदा स्वीकृति के बाद निविदादाता को एक माह भीतर 15 प्रतिशत राशि जमा करना होगा. इस प्रकार उसे भूखंड का कब्जा लेने के पहले मात्र 25 प्रतिशत राशि ही प्राधिकरण को देनी होगी. भूखंड कब्जा लेने के बाद भूखंडधारी नियमानुसार भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ कर सकेगा. इसके बाद शेष 75 प्रतिशत राशि निविदाता को 36 माह की मासिक किश्तों में जमा करने की सुविधा मिलेगी. पूरी राशि जमा करने के बाद ही ऐसे आवेदकों के भूखंडों की रजिस्ट्री की जाएगी.
निर्माण के लिए कमल विहार में टैंकर से मिलेगा पानी
कमल विहार योजना में कुछ दिन पहले एक भूखंडधारी आशीष भट्टाचार्य ने सेक्टर एक में अपने मकान का निर्माण प्रारंभ किया है. चूंकि प्राधिकरण लगातार कई भूखंड स्वामियों की रजिस्ट्री कर उन्हें भूखंड का कब्जा सौंप रहा है. ऐसे में भवन का निर्माण करने वाले भूखंडधारियों को सहूलियत देने और निर्माण कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए प्राधिकरण ने टैंकर के माध्यम से पानी देने का निर्णय लिया है. इसके लिए प्राधिकरण के पानी के टैंकर योजना में ही निर्मित सम्पवेल से दस पैसे प्रति लीटर की दर से जल की आपूर्ति करेगा. प्राधिकरण इस हेतु साढ़े चार हजार लीटर के टैंकर उपलब्ध कराएगा, जिसके लिए आवंटिती को 450 रुपए का भुगतान करना होगा.   
योजना के मूल भूस्वामी छोटे भूखंड दे कर ले सकेंगे बडे भूखंड
कमल विहार में जिन भूस्वामियों को उनकी मूल भूमि के बदले अर्थात विनिमय में छोटे भूखंड मिले हैं वे अब 2750 वर्गफुट से बड़े आकार के भूखंड प्राधिकरण को अन्तर की राशि व अन्य देय प्रभार का भुगतान कर फ्रीहोल्ड में दूसरा भूखंड ले सकेंगे. संचालक मंडल ने इस प्रस्ताव को भी बैठक में स्वीकृति दी किन्तु ऐसे भूखंडों के संबंध में प्राधिकरण को विज्ञापन जारी कर आवेदन पत्र आमंत्रित करना होगा. 
पंजीयन राशि राजसात नहीं, मात्र 20% की कटौती
प्राधिकरण की कमल विहार योजना में भूखंड आवंटन के संबंध में पूर्व यह शर्त थी कि यदि आवेदक को लाटरी से आवंटन होता है और वह उस आवंटन को स्वीकार नहीं करता है तो ऐसी स्थिति में पूरी पंजीयन राशि राजसात हो जाएगी. संचालक मंडल ने अब इसमें आवेदकों को राहत देते हुए यह निर्णय लिया है कि लाटरी से भूखंड का आवंटन होने बाद किन्तु प्रथम किश्त देय होने के पहले यदि आवंटिती व्दारा जमा पंजीयन राशि वापस करने की मांग की जाती है तो पंजीयन राशि में 20 प्रतिशत राशि की कटौती कर शेष राशि बिना किसी ब्याज के आवेदक को वापस कर दी जाए. 
डुमरतराई में रीजनल व सिटी बस का टर्मिनल
रायपुर से जगदलपुर मुख्य मार्ग पर यातायात की सुगमता और सुविधा के लिए ग्राम डुमरतराई के 5 एकड़ भूमि पर बस टर्मिनल बनाने की सहमति प्राधिकरण संचालक मंडल ने देते हुए इसका प्रस्ताव राज्य शासन को भेजने का निर्णय लिया है. लगभग 14.51 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाले बस टर्मिनल में रीजनल स्तर की 8 बसों के लिए, सिटी स्तर की 3 बसों के लिए, रात में 5 रीजनल बसों और 3 सिटी स्तर की बसों के लिए पार्किंग की व्यवस्था उपलब्ध होगी. बस टर्मिनल परिसर के 30 हजार वर्गफुट क्षेत्र में दुकानों, रेस्टॉरेंट व अन्य मूलभूत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा. डुमरतराई की प्रस्तावित यह भूमि छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल की है जिस पर बस टर्मिनल का निर्माण रायपुर विकास प्राधिकरण करेगा और बाद में इसे संचालन के लिए नगर पालिक निगम रायपुर को सौंप दिया जाएगा. इस हेतु तीनों निकायों के बीच एक त्रिपक्षीय अनुबंध होना प्रस्तावित है.
संपति विक्रय करने के लिए अब 14 एजेंट
प्राधिकरण में नियुक्त विक्रय अभिकर्ता अब कमल विहार के अतिरिक्त इन्द्रप्रस्थ फेज 02 तथा रावांभाठा ट्रांसपोर्टनगर के भूखंड, भक्त माताकर्मा व्यवासायिक परिसर की दुकानें और कुशाभाऊ ठाकरे आवास योजना के फ्लैट्स भी विक्रय कर सकेंगे. पूर्व में प्राधिकरण ने कमल विहार योजना के ऐसे अविक्रित भूखंडों के लिए जो 3 बार विज्ञापन के बाद भी विक्रय नहीं हो पाए थे ऐसे भूखंडों के लिए 5 विक्रय अभिकर्ताओं मजिन्दर सिंह भामरा, भोजराज साहू, शशांक सिंह, चन्द्रकांत बावरिया और राजेश गिदवानी की नियुक्ति की थी. प्राधिकरण व्दारा इसके बाद पुनः विज्ञापन के माध्यम से और 9 और विक्रय अभिकर्ताओं की नियुक्ति की है जिसे संचालक मंडल ने अपनी स्वीकृति प्रदान की. इन विक्रय अभिकर्ताओं में अमित गुप्ता, आशीष कुमार सोनी, दीपक डागा, निर्मल कुमार जैन, सुशांत पोलाई, महेन्द्र कुमार जैन, रामनारायण मिश्रा, सुरेश कुकरेजा और सुरेश केशवानी शामिल हैं. इस प्रकार प्राधिकरण की संपत्तियों का विक्रय करने के लिए अब 14 एजेंटों की नियुक्ति हो चुकी है.
दो साल में भवन निर्माण नहीं तो पट्टा निरस्त

रायपुर विकास प्राधिकरण की विभिन्न पुरानी योजनाओं में जिन आवंटितियों ने दिए गए निर्धारित समय में भवनों का निर्माण नहीं किया है उनके पट्टे निरस्त कर उस पर पुर्नप्रवेश कर भूखंड का कब्जा वापस ले लिया जाएगा. प्राधिकरण संचालक मंडल की बैठक में कल यह निर्णय लिया गया. आरडीए ने अपनी विभिन्न पुरानी योजनाओं में 30 वर्षीय पट्टे में भूखंडों का आवंटन किया है. आवंटन के समय हुई रजिस्ट्री में इस बात का उल्लेख था कि आवंटिती एक वर्ष में भवन अनुज्ञा प्राप्त करेगा तथा दो वर्षों में भवन का निर्माण कर लेगा किन्तु आवंटितियों ने भूखंड पर कोई निर्माण नहीं कर उसे खाली रखा है. ऐसे आवंटितियों को आरडीए ने भवन निर्माण नहीं करने के लिए कारण बताओं सूचना जारी की है. इसके बावजूद भी आवंटितियों ने आज तक भवन का निर्माण नहीं किया है. संचालक मंडल का यह निर्णय छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश विकसित, भूमियों, गृहों भवनों तथा अन्य संरचनाओं का व्ययन नियम 1975 के नियम 38 व 51 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार लिया गया है.

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