नामांतरण
के बाद नियमित रुप से हो रहा विकसित भूखंडों का आवंटन
रायपुर 28 नवंबर 2014, कमल विहार योजना में रायपुर विकास
प्राधिकरण उन भूस्वामियों को विकसित भूखंडों का आवंटन नहीं करेगा जिन्होंने अवैध
रुप से प्लॉटिंग कर सड़क अथवा रास्ते कि लिए छोड़ी गई भूमि के बदले विकसित भूखंडों
की मांग की हैं. प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अमित कटारिया ने ऐसे
अवैध प्लॉटिंग करने वाले सभी लोगों की सूची आयुक्त नगर निगम को भेजी है. इन सभी के
विरुध्द कालोनाईजर एक्ट के उल्लंघन करने के कारण एफआईआर दर्ज कराते हुए कार्रवाई
की जाएगी.
अवैध
प्लॉटिंग कर किया शर्तों का उल्लंघन
श्री कटारिया ने कहा है कि भले ही अवैध प्लाटिंग करने वाले
भूमि स्वामियों से प्राधिकरण के साथ अपना पहला अनुबंध कर लिया है. पर उन्हें
अनुबंध की शर्त के उल्लघंन के कारण विकसित भूखंड नहीं दिया जाएगा. जिनके साथ पहला
अनुबंध किया गया है उस अनुबंध की शर्त क्रमांक 4 में स्पष्ट रुप से इस बात का
उल्लेख है कि " भूमि स्वामी यह भी आश्वासित एवं घोषित
करता है कि उक्त भूमि अवैध भूखंडों की श्रेणी में नहीं आती एवं योजना क्षेत्र के
अंतर्गत अनाधिकृत व्यक्तियों के व्दारा की गई अवैध रुप से प्लॉटिंग के बाद उनके
व्दारा रोड, गार्डन इत्यादि के मद में छोड़ी गई भूमि के श्रेणी में भी नहीं आता
है. इसलिए वह अपनी भूमि के अर्जन के प्रतिफल में पुनर्गठित विकसित भूखंड का हकदार
है. "
इस कारण ऐसे लोगों को विकसित भूखंड देने का सवाल ही नहीं उठता वरन ऐसे लोगों पर
कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
हाईकोर्ट
से भी याचिका खारिज हुई
छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50 के अंतर्गत
गठित समिति व्दारा नगर विकास योजना क्रमांक – 4 (कमल विहार) के संबंध में दिनांक 8 जून 2010 को प्रस्तुत
प्रतिवेदन एवं रायपुर विकास प्राधिकरण के संचालक मंडल व्दारा भी सक्षम प्राधिकारी
की अनुमति के बिना प्लॉट काट कर बेचने तथा कालोनाईजर एक्ट की उल्लंघन करते हुए सड़क, नाली इत्यादि सार्वजनिक मद में
छोड़ी गई भूमि जो भूमिस्वामी के नाम पर राजस्व अभिलेख में दर्ज है को विकसित प्लॉट
नहीं देने का प्रस्ताव पारित किया था. ऐसे अवैध प्लॉटिंग की जानकारी जिला प्रशासन
रायपुर से लिए जाने का उल्लेख है. प्राधिकरण ने आगे कहा है कि ऐसे अवैध प्लॉटिंग
वाले कुल छह लोग जिन्होंने आरडीए के साथ पहला अनुबंध किया था और वे कलेक्टर रायपुर
व्दारा भेजी गई टुकड़ों में ब्रिक्री की गई भूमि की सूची में शामिल थे. ऐसे लोगों
ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर में याचिका दायर की थी जिसे माननीय उच्च न्यायालय
ने खारिज कर दिया है.
अवैध
प्लॉटिंग की,धोखे से बेचे प्लॉट, अब कमल विहार में मांग रहे हैं प्लॉट
प्राधिकरण का कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन व्दारा रायपुर विकास
प्राधिकरण के माध्यम से नगर विकास योजना कमल विहार का विकास इसलिए किए जा रहा है
ताकि राज्य के नागरिकों को अवैध प्लॉटिंग से होने वाली परेशानियों से बचाया जा
सके. लेकिन अवैध प्लॉटिंग करने वालों ने बिना सक्षम अधिकारी से नक्शा पास कराए
कागजों पर नक्शे बनाएं, ढ़ेर सारे अवैध प्लॉट काटे और उसे नागरिकों को धोखे से बेचा.
अब उसी नक्शे की सड़कों की जमीन को अपना बता कर उसके बदले कमल विहार में विकसित
प्लॉट मांग रहे हैं. यानि एक तो ऐसे लोगों ने नियम विरुध्द काम किया, आम नागरिकों
से धोखा किया और ऊपर से बड़ी सीनाजोरी से कमल विहार में प्लॉट मांग रहे हैं.
नामांतरण
के बाद लगातार हो रहा दूसरा अनुबंध
श्री कटारिया ने कहा कि कमल विहार योजना में शामिल 4969 भूमि
स्वामियों में से वर्तमान में 861 लोगों को विकसित भूखंड का आवंटन कर उनके साथ दूसरा
अनुबंध कर लिया गया है. प्रक्रिया के अन्तर्गत जिन लोगों ने प्राधिकरण के साथ पहला
अनुबंध कर अपनी भूमि कमल विहार योजना के लिए सहमति दी है उसके आधार पर तहसीलदार
रायपुर व्दारा पहले ऐसे भूमि स्वामियों की भूमि का रायपुर विकास प्राधिकरण के नाम
पर नामांतरण किया जा रहा है. प्राधिकरण के नाम पर भूमि का नामांतरण हो जाने के बाद
प्राधिकरण व्दारा भूमि स्वामियों से दूसरा अनुबंध कर नियमित रुप से विकसित भूखंडों
का आवंटन किया जा रहा है. वर्तमान में एक हजार भूमि स्वामियों के नामांतरण के साथ
ही उन्हें सूचित किया गया है कि वे प्राधिकरण से दूसरा अनुबंध कर विकसित भूखंड
प्राप्त कर लें. नामांतरण की यह प्रक्रिया लगातार हो रही है. जैसे जैसे प्राधिकरण
के नाम पर भूमि का नामांतरण हो रहा है वैसे – वैसे प्राधिकरण भूमि स्वामियों को उनके भूखंडों का दूसरा और
अंतिम आवंटन कर रहा है.
नागरिकों
को धोखे से बेचा प्लॉट
श्री कटारिया ने कहा कि अवैध प्लॉटिंग वाले काफी रसूखदार और
राजनैतिक पहुंच वाले लोग है जिन्होंने असली भूस्वामियों की जमीनों को कौडियों की
भाव खरीदा, उस पर अवैध प्लॉट काट कर बेचा, उसका स्वयं फायदा लिया, पूरे छत्तीसगढ़
के नागरिकों को धोखा दिया और कही सामने नहीं आए. अवैध प्लॉट खरीदने वालों को संकरी
सड़कों, नाली, बिजली, पानी और बैंक ऋण लेने की काफी परेशानी होती रही. प्लॉट
खरीदने वाले न तो वे अपना मकान बना पाए और न ही उनकी राशि का उपयोग हो पाया. ऐसे
में छत्तीसगढ़ शासन ने नगर विकास योजना कमल विहार के माध्यम से आम नागरिकों को
राहत दी. यही नहीं ऐसे लोग पिछले चार सालों से जब से कमल विहार के विकास का कार्य
शुरु हुआ है तब से लगातार इसका प्रायोजित दुष्प्रचार कर रहे हैं.
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