आबादी, निर्मित व कृषि क्षेत्र पर नगर विकास योजना – 5 नहीं बनेंगी
श्री कटारिया ने प्रतिनिधि
मंडल से कहा कि दरअसल जिस तरह से आलू व प्याज की जमाखोरी होती है वैसे ही रायपुर
शहर में भी लोग मास्टर प्लान के अंतर्गत आवासीय,व्यावसायिक, सार्वजनिक तथा अर्ध्द-सार्वजनिक
भू-उपयोग की जमीनों की जमाखोरी कर रहे है. इस कारण शहर में नागरिकों को सुविधाजनक
आवास तथा अन्य उपयोग के लिए भूखंड उपलब्ध नहीं हो पा रहे है. उन्होंने कहा कि दरअसल
जमीन की जमाखोरी करने वालों ने इन जमीनों को घेर रखा है तथा इस कारण उसका उपयोग
नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें इसी भूमियों का रायपुर की विकास योजना के
परिपेक्ष्य में उपयोग करना होगा. श्री कटारिया ने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि यदि आप
सभी जो रायपुर शहर को अच्छा बनाना चाहते हैं तो शहर के मास्टर प्लान में दिए गए
प्रस्ताव के अनुसार व्यावसायिक, आवासीय तथा अन्य भू–उपयोग की जमीनों में बुनियादी अधोसंरचना
का विकास करना जरूरी है.
श्री कटारिया ने आगे कहा कि नया
रायपुर कोई नगर विकास योजना नहीं है. इसे कमल विहार से जोड़ा जाना ठीक नहीं है. वरन्
यह एक नए शहर का विकास है. जहां छत्तीसगढ़ की आधुनिक राजधानी का विकास किया जा रहा
है. नया रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की योजना के अनुसार विकास और निर्माण किया
जा रहा है. छत्तीसगढ़ शासन का उद्देश्य है कि रायपुर और नया रायपुर का विकास
सुनियोजित तरीके से हो.
प्राधिकरण की कमल
विहार योजना के संबंध में श्री कटारिया ने कहा कि यह योजना लैंड पूलिंग अर्थात्
भूस्वामियों की जनभागीदारी के साथ बनाई गई योजना है. कमल विहार में लगभग 5 हजार
भूस्वामियों में से साढ़े 4 हजार लोगों ने योजना में शामिल होने के लिए अपनी भूमि
प्रदान की है. जिन 5 सौ लोगों ने अपनी भूमि को योजना में शामिल नहीं होने दिया उनकी
भूमि के एवज में भूअर्जन अधिकारी व्दारा अनिवार्य भूअर्जन अधिनियिम के अन्तर्गत मुआवजे
का भुगतान किया गया है. प्राधिकरण के संचालक मंडल ने जनहित में ऐसे लोगों की मांग
पर कमल विहार योजना में विकसित भूखंड देने का निर्णय लिया. ऐसे लगभग 4 सौ लोगों ने
पुनः विकसित भूखंड लेने के लिए प्राधिकरण कार्यालय में आवेदन दिए हैं. उन्हें भी
भूखंड दिया जा रहे हैं. श्री कटारिया ने कहा कि कमल विहार योजना में जमीन बेचने पर
पहले भी प्रतिबंध नही था और आज भी नहीं है.
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