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Jul 7, 2014

मास्टर प्लान की जमीनों की जमाखोरी होने के कारण शहर का विकास रूका

आबादी, निर्मित व कृषि क्षेत्र पर नगर विकास योजना 5 नहीं बनेंगी

रायपुर7 जुलाई 2014, रायपुर विकास प्राधिकरण की नगर विकास योजना 5 में आबादी, कृषि भूमि तथा बसाहट वाले क्षेत्रों को शामिल नहीं किया जाएगा. योजना में नए भू-अर्जन नियमों में दिए गए प्रावधानों के अनुरूप ही कार्य किया जाएगा. प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अमित कटारिया ने आज यह बात रायपुर ग्रामीण के विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा, पूर्व विधायक श्री रमेश वर्ल्यानी व श्री इंदरचंद धाड़ीवाल के साथ प्राधिकरण कार्यालय पहुंचे एक प्रतिनिधि मंडल से कही. श्री कटारिया ने आज पूरे प्रतिनिधि मंडल के साथ कार्यालय परिसर में ही आमने - सामने बैठकर उनकी बातों को सुना, चर्चा की और उनके कई सवालों का जवाब भी दिया. उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि मंडल ने अपनी मांगो के संबंध में जो ज्ञापन सौंपा है उस पर विचार किया जाएगा और शासन को भी उससे अवगत कराया जाएगा.

श्री कटारिया ने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि दरअसल जिस तरह से आलू व प्याज की जमाखोरी होती है वैसे ही रायपुर शहर में भी लोग मास्टर प्लान के अंतर्गत आवासीय,व्यावसायिक, सार्वजनिक तथा अर्ध्द-सार्वजनिक भू-उपयोग की जमीनों की जमाखोरी कर रहे है. इस कारण शहर में नागरिकों को सुविधाजनक आवास तथा अन्य उपयोग के लिए भूखंड उपलब्ध नहीं हो पा रहे है. उन्होंने कहा कि दरअसल जमीन की जमाखोरी करने वालों ने इन जमीनों को घेर रखा है तथा इस कारण उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें इसी भूमियों का रायपुर की विकास योजना के परिपेक्ष्य में उपयोग करना होगा. श्री कटारिया ने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि यदि आप सभी जो रायपुर शहर को अच्छा बनाना चाहते हैं तो शहर के मास्टर प्लान में दिए गए प्रस्ताव के अनुसार व्यावसायिक, आवासीय तथा अन्य भूउपयोग की जमीनों में बुनियादी अधोसंरचना का विकास करना जरूरी है.
      प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि डुमरतराई, देवपुरी, अमलीडीह, फुंडहर, लाभान्डीह एवं जोरा क्षेत्र में बनने वाली नगर विकास योजना 5 में आबादी व बसाहट, निर्मित व स्वीकृत अभिन्यास सहित कृषि क्षेत्र पर योजना नहीं बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान शहर के मास्टर प्लान के अनुसार सड़क, नाली, पानी, बिजली, सीवरेज जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा यदि शासन या प्राधिकरण शहर का विकास नहीं करेगा तब भी शहर का विकास अपने आप होता जाएगा जैसा की अब तक होता आया है. यह विकास गंदी और झुग्गी बस्ती की श्रृंखला जैसा विकास होगा जहां बुनियादी सुविधाओं के लिए लोगों को काफी तरसना पड़ता है और संघर्ष करना पड़ता है. यदि हम पहले से ही नागरिकों को बुनियादी सुविधाएं दे देंगे तो शहर में तोड़फोड़ करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी जैसा कि शहर में पहले होता आया है.
श्री कटारिया ने आगे कहा कि नया रायपुर कोई नगर विकास योजना नहीं है. इसे कमल विहार से जोड़ा जाना ठीक नहीं है. वरन् यह एक नए शहर का विकास है. जहां छत्तीसगढ़ की आधुनिक राजधानी का विकास किया जा रहा है. नया रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की योजना के अनुसार विकास और निर्माण किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ शासन का उद्देश्य है कि रायपुर और नया रायपुर का विकास सुनियोजित तरीके से हो.

प्राधिकरण की कमल विहार योजना के संबंध में श्री कटारिया ने कहा कि यह योजना लैंड पूलिंग अर्थात् भूस्वामियों की जनभागीदारी के साथ बनाई गई योजना है. कमल विहार में लगभग 5 हजार भूस्वामियों में से साढ़े 4 हजार लोगों ने योजना में शामिल होने के लिए अपनी भूमि प्रदान की है. जिन 5 सौ लोगों ने अपनी भूमि को योजना में शामिल नहीं होने दिया उनकी भूमि के एवज में भूअर्जन अधिकारी व्दारा अनिवार्य भूअर्जन अधिनियिम के अन्तर्गत मुआवजे का भुगतान किया गया है. प्राधिकरण के संचालक मंडल ने जनहित में ऐसे लोगों की मांग पर कमल विहार योजना में विकसित भूखंड देने का निर्णय लिया. ऐसे लगभग 4 सौ लोगों ने पुनः विकसित भूखंड लेने के लिए प्राधिकरण कार्यालय में आवेदन दिए हैं. उन्हें भी भूखंड दिया जा रहे हैं. श्री कटारिया ने कहा कि कमल विहार योजना में जमीन बेचने पर पहले भी प्रतिबंध नही था और आज भी नहीं है.

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