रायपुर, 26 सितंबर 2013, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सुनील कुमार सोनी
ने कहा है कि लीज होल्ड प्लॉट को फ्री होल्ड करना और अवैध कालोनियों को राजसात
करने का निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल का एक ऐतिहासिक निर्णय है
जिसके दूरगामी परिणाम होगें.
श्री सोनी ने कहा
कि प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में हजारों आवासीय भूखंड व भवन आवंटित किए गए
हैं. ये सभी 30 वर्षों पर लीज अर्थात पट्टे पर यानि एक प्रकार के किराये पर थे. डॉ. रमन सिंह की सरकार ने ऐसे सभी आवासीय संपत्तियों
को लीज से मुक्त करा कर भूखंड व भवन के स्वामियों को प्लॉट का मालिक बना दिया है. फ्रीहोल्ड
होने से न तो भूभाटक देना पडेगा और न ही संपत्तियों को विक्रय करने के लिए कोई
अनुमति लेनी पडेगी. उन्होंने कहा कि फ्रीहोल्ड करने के लिए राजस्व संबंधी तमाम
दिक्कतें थी जिन्हें छतीसगढ़ भूमि धारण (विधिमान्यकरण) अधिनियम 2013 (वैलिडेशन
एक्ट) बना और उसे विधानसभा में पारित कर कानूनी स्वरुप दिया गया है. छत्तीसगढ़ के
राजपत्र में प्रकाशन के बाद भवन व भूखंडधारी अब अपनी संपत्तियों को फ्रीहोल्ड करने
के लिए रायपुर विकास प्राधिकरण में अपना आवेदन प्रस्तुत करने लगे हैं.
प्राधिकरण की कमल
विहार योजना के अधिसूचित क्षेत्र में आने वाले स्वागत विहार की कालोनी में अवैध
रुप से शासकीय भूमि पर कब्जा कर बेचे जाने के मामले में पीडितों को मुख्यमंत्री
डॉ. रमन सिंह ने कैबिनेट में निर्णय लेकर एक बड़ी राहत दी है. छत्तीसगढ़ शासन का
यह निर्णय अवैध कालोनी निर्माण के मामले में पूरे देश में शायद इकलौता निर्णय है
जिससे पीडितों को सीधा न्याय मिला है. फर्जी तरीके से अवैध प्लॉट बेच कर जनता को
परेशान करने वाले ऐसे लोगों की अवैध कालोनी और कालोनी बनाने वालों की संपत्ति को
राजसात करने का निर्णय भी अपने आप में
अनूठा है.
श्री सोनी ने कहा कि स्वागत विहार में सरकारी भूमि पर लोगों को अवैध रुप से प्लॉट काट कर बेचे गए है. ऐसे पीडित लोग अपनी मेहनत की कमाई से खरीदे गए भूखंड़ों को आज तक देखने तक के लिए भटक रहे हैं. अवैध कालोनी बनाने वालों ने न सिर्फ अवैध प्लॉट बेच कर जनता को धोखा दिया वरन उनको लूटने का भी काम किया है. राज्य शासन का यह फैसला ऐसे लोगों के लिए खुशियां लेकर आया है. इससे पूरे राज्य में अवैध कालोनियों के निर्माण की प्रवृति पर रोक लगेगी.
श्री सोनी ने कहा कि स्वागत विहार में सरकारी भूमि पर लोगों को अवैध रुप से प्लॉट काट कर बेचे गए है. ऐसे पीडित लोग अपनी मेहनत की कमाई से खरीदे गए भूखंड़ों को आज तक देखने तक के लिए भटक रहे हैं. अवैध कालोनी बनाने वालों ने न सिर्फ अवैध प्लॉट बेच कर जनता को धोखा दिया वरन उनको लूटने का भी काम किया है. राज्य शासन का यह फैसला ऐसे लोगों के लिए खुशियां लेकर आया है. इससे पूरे राज्य में अवैध कालोनियों के निर्माण की प्रवृति पर रोक लगेगी.
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