रायपुर, 08 जुलाई 2009. रायपुर विकास प्राधिकरण ने कहा है कि वह किसी एक कालोनी का निर्माण नहीं कर रहा है वरन मास्टर प्लॉन के अनुसार रायपुर शहर के लिए टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम पर कार्य कर रहा है. प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अमित कटारिया ने कहा है कि प्राधिकरण शहर विकास के लिए बनाए गए मास्टर प्लॉन में दिए गए भूउपयोग के प्रावधानों के अनुरुप टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम के माध्यम से राजधानी के सुव्यवस्थित बसाहट की दिशा में काम कर रहा है. इसके लिए किसी की भूमि अर्जित नहीं की जाएगी.
श्री कटारिया ने कहा कि नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के अनुसार टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम के अन्तर्गत प्राधिकरण प्लॉटों का पुनर्गठन कर भूमि के निर्धारित उपयोग के अनुसार विकास का कार्य करेगा. प्राधिकरण नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 49 व 50 के अन्तर्गत नगर विकास स्कीम के क्रियान्वयन का कार्य कर रहा है. इन धाराओं के अन्तर्गत भूमि के पुनर्गठन का स्पष्ट प्रावधान है. इसके अन्तर्गत भवनों, मार्गों, नालियों, मल वहन लाइनों तथा अन्य वैसी सुख-सुविधाओं के प्रयोजन के लिए प्लाटों का पुनर्गठन का कार्य राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से आरंभ किया जा सकता है.
प्लाटों का पुनर्गठन हेतु प्राधिकरण द्वारा नगर तथा ग्राम निवेश विभाग, रायपुर से अभिन्यास अनुमोदित करवाया जाएगा. इसके साथ ही भूस्वामियों से आपसी समझौते के आधार पर अनुबंध कर सड़क, नाली, पेयजल व विद्युत की बुनियादी सुविधाओं सहित उद्यान, खुले क्षेत्र व अन्य अधोसंरचनाओं का विकास किया जाएगा. अधोसंरचना के विकास के लिए राशि की व्यवस्था योजना की व्यावासायिक व अन्य भूमि के विक्रय से प्राप्त राशि मे से किया जाएगा. शेष बची विकसित भूमि भूस्वामियों को बिना विकास शुल्क लिए वापस कर दी जाएगी जो कम से कम तीस प्रतिशत तक होगी. छत्तीसगढ़ शासन के नियम के अनुसार ऐसे अभिन्यास में आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लिए भूखंड अथवा निर्मित मकान देने का भी प्रावधान है. इसलिए यह कहा जा सकता है कि योजना में गरीबों को भी भूमि मिलेगी. भू उपयोग के अनुसार योजना की व्यावसायिक भूमि के विक्रय से प्राप्त राशि से अधोसंरचना का विकास किया जाएगा.
श्री कटारिया ने कहा कि गुजरात के अहमदाबाद शहर के विकास के लिए 1979 से नगर विकास स्कीम का क्रियान्वयन किया जा रहा है और वहां लगभग ऐसी एक सौ टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम पूर्ण हो चुकी है. अहमदाबाद में टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम भी मूलतः भूखंडों के पुनर्गठन से संबंधित है. वहां विकास प्राधिकरण ने भूस्वामियों की भूमि का अधिग्रहण नहीं किया है. स्कीम में भूस्वामियों से अनुबंध कर पूरे क्षेत्र का विकास करते हुए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है तथा भूस्वामियों से उनको वापस दिए जाने वाले भूखंड के लिए विकास शुल्क लिया जाता है. प्लॉटों के पुनर्गठन के इस कार्य को वहां की जनता ने बड़े ही हर्ष से स्वीकार किया है. वहां के अधिकारी बताते हैं कि भूस्वामी स्वयं उनके पास आते हैं और अपनी भूमि प्राधिकरण को देते हैं ताकि उनकी भूमि नगर विकास स्कीम के अन्तर्गत शामिल हो जाए तथा क्षेत्र का विकास होने से उन्हें भी आर्थिक लाभ हो. रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम में शामिल भूस्वामियों पर इस बात का कोई बंधन नहीं होगा कि वे अपनी भूमि किसी को नहीं बेच सकते वरन वे इस बात के लिए स्वतंत्र होंगे कि वे किसी को भी अपनी भूमि का विक्रय कर सकें तथा उसमें मास्टर प्लॉन में उल्लेखित भूउपयोग के अनुसार मानचित्र सक्षम अधिकारी से अनुमोदित करवा कर अपने भूखंड का विकास और उस पर निर्माण कर सकें.
छत्तीसगढ़ शासन का नगर तथा ग्राम निवेश विभाग नगर विकास की योजना अर्थात मास्टर प्लॉन तैयार करने का कार्य करता है. जबकि नियम के अनुसार रायपुर विकास प्राधिकरण का गठन स्थानीय प्राधिकारी के रूप में मास्टर प्लॉन को क्रियान्वित करने के लिए किया गया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का भी यह मानना है कि रायपुर नगर में बुनियादी अधोसंरचनाओं के विकास नहीं होने शहर का अनियमित रुप से विकास हुआ है. इसलिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सुव्यवस्थित और बेहतर जीवन के लिए टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम का क्रियान्वयन आवश्यक हो गया है. इसलिए गुजरात के शहरी विकास के अनुभव के आधार पर रायपुर विकास प्राधिकरण राजधानी रायपुर के सुव्यवस्थित विकास और राज्य़ शासन के सुशासन की नीति के आधार पर टॉऊन डेव्हलपमेंट स्कीम क्रियान्वयन की दिशा में कार्य कर रहा है जो लोकहित में है तथा एक कल्याणकारी योजना है.
* रायपुर शहर विकास की संस्था * * 1963 से कार्यरत संस्था * * लिम्का बुक ऑफ रिकार्डस * * इंडिया बुक ऑफ रिकार्डस से सम्मानित
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